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अटल भुजल योजना | Atal Bhujal Yojana

देश के कई इलाकों में चिंताजनक स्तर तक पहुंच चुके भूजल का संरक्षण तथा इसका स्तर बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की 6000 करोड़ रूपये की महत्वाकांक्षी ‘अटल भूजल योजना’ के अप्रैल से शुरू होने के आसार हैं। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने ‘भाषा’ को बताया कि ‘अटल भूजल योजना’ करीब करीब मंजूरी के स्तर पर आ गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसे मार्च 2018 तक मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जायेगी जिससे इसे एक अप्रैल से लागू किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस योजना में केंद्र सरकार और विश्व बैंक की आधी-आधी हिस्सेदारी होगी। इसके अलावा इसमें स्थानीय ग्रामीणों की व्यापक हिस्सेदारी सुनिश्चित की जायेगी।

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह योजना गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिये प्रस्तावित है। इस योजना के तहत इन प्रदेशों के 78 जिलों, 193 ब्लॉकों और 8350 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है । केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की पिछले वर्ष की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 6584 भूजल ब्लॉकों में से 1034 ब्लॉकों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया गया है। इन ब्लॉकों के भूजल का वार्षिक उपभोग इनके पुनर्भरण से ज्यादा रहा। सामान्यत: इसे ‘डार्क जोन’ (पानी के संकट की स्थिति) कहा जाता है। इसके अलावा 934 ब्लॉक ऐसे हैं जिनमें पानी का स्तर कम हो रहा है, लेकिन उनका पुनर्भरण नहीं किया जा रहा। ऐसे ज्यादातर ब्लॉक पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में हैं।

देश में भूजल के 30 प्रतिशत ब्लॉकों में पानी का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है. पानी के इस संकट को देखते हुए केंद्र सरकार अटल भूजल योजना के तहत 6000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. योजना के तहत पानी के उपलब्ध स्रोतों के कुशल प्रबंधन और समाज की भागीदारी के जरिए उनके पुनर्भरण (रीचार्ज) की प्रक्रिया को बेहतर करने का काम किया जाएगा. योजना के कुल खर्च का आधा भाग विश्व बैंक की तरफ से ऋण के रूप में दिया जाएगा. केंद्रीय जल संसाधन सचिव यूपी सिंह ने उम्मीद जताई है कि 31 मार्च 2018 से पहले विश्व बैंक ऋण को स्वीकृति दे देगा ताकि इस योजना को एक अप्रैल से प्रभावी रूप से लागू किया जा सके.

केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की पिछली रिपोर्ट के मुताबिक देश के 6584 भूजल ब्लॉकों में से 1034 ब्लॉकों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया गया है. इन ब्लॉकों के भूजल का वार्षिक उपभोग इनके पुनर्भरण से ज्यादा रहा. सामान्यतः इसे ‘डार्क जोन’ (पानी के संकट की स्थिति) कहा जाता है. इसके अलावा 934 ब्लॉक ऐसे हैं जिनमें पानी का स्तर कम हो रहा है, लेकिन उनका पुनर्भरण नहीं किया जा रहा. ऐसे ज्यादातर ब्लॉक पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में हैं.

CGWB की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की हालत इस मामले में सबसे ज्यादा खराब है. हालांकि ब्लॉकों की संख्या (358) के लिहाज तमिलनाडु सबसे आगे है. वहीं, प्रतिशत के हिसाब से देखें तो पंजाब की हालत सबसे खराब है. यहां के 76 प्रतिशत (138 में से 105) भूजल ब्लॉक सूखते जा रहे हैं. इसी तरह राजस्थान में 66 प्रतिशत (248 में 164) और दिल्ली में 56 प्रतिशत (27 में से 15) भूजल ब्लॉक डार्क जोन की श्रेणी में हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक पानी की आपूर्ति का मौजूदा प्रबंधन भूजल ब्लॉकों की खराब हालत की एक वजह हो सकती है. इसके तहत इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है कि खेती और घरेलू क्षेत्र के लिए कैसे ज्यादा से ज्यादा पानी उपलब्ध कराया जाए. यूपी सिंह का कहना है कि अटल भूजल योजना के तहत इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा कि किस काम के लिए पानी की कितनी मांग है.

केंद्र सरकार ने भूजल स्तर को कम करने के लगातार गहन संकट से निपटने के लिए महत्वाकांक्षी जल संरक्षण योजना अटल भुजल योजना (ABY) तैयार की है। जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय के तहत छह हजार करोड़ रुपये का वित्तपोषण किया जाएगा। यह कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।

अटल भुजल योजना(Atal Bhujal Yojana)

योजना का उद्देश्य भूजल का पुनर्भरण करना और कृषि उद्देश्यों के लिए पर्याप्त जल भंडारण करना है। यह सतह जल निकायों के पुनरुत्थान पर भी ध्यान केंद्रित करता है ताकि भूजल का स्तर बढ़ाया जा सके, खासकर ग्रामीण इलाकों में। यह भूजल स्रोतों को रिचार्ज करने और स्थानीय स्तर पर लोगों को शामिल करके पानी का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने पर जोर देगा।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद योजना जल्द ही जल-तनावग्रस्त राज्यों में शुरू की जाएगी: गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश। इसमें 78 जिलों, 193 ब्लॉक और 8,300 से अधिक ग्राम पंचायतों को इन राज्यों में शामिल किया जाएगा। केन्द्रीय कुल परियोजना लागत के आधे हिस्से को समर्थन देंगे और शेष बजटीय लागत को विश्व बैंक द्वारा साझा किया जाएगा।

महत्व(Significance)

यह योजना उन जिलों में निरंतर भूजल आपूर्ति की आवश्यकता है, विशेष रूप से किसान जो पिछले कई सालों से भूजल की गंभीर कमी से प्रभावित हैं। इसका ध्यान मुख्य रूप से समुदायों की भागीदारी और विभिन्न जल योजनाओं के साथ अभिसरण पर है।
इसका प्रमुख घटक भूजल संसाधनों का प्रबंधन करने के लिए समाज को जिम्मेदार बनाता है और व्यवहार में बदलाव लाता है। इससे जल संसाधन के प्रति समग्र दृष्टिकोण को सुधारने में मदद मिलेगी।

पृष्ठभूमि(Background)

भूजल की वर्तमान स्थिति खतरनाक है, मुख्य रूप से गैर-समान भूमिगत जल विकास और इसकी अधिक-शोषण के कारण। केंद्रीय भूजल बोर्ड (भूजल आकलन, 2011) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 6,607 मूल्यांकन प्रशासनिक इकाइयों में से 1,071 इकाइयों का भूजल का उपयोग किया गया है, 217 इकाइयां महत्वपूर्ण हैं, 697 इकाइयां अर्द्ध-महत्वपूर्ण हैं और 4,530 इकाइयां सुरक्षित हैं। इसके अलावा, 9 2 इकाइयां पूरी तरह से खारा हैं।
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु तथा पुडुचेरी और दमन और दीव के केंद्र शासित प्रदेशों में अति-शोषण और महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाइयों की संख्या काफी अधिक है। गिरने वाले भूजल स्तरों में कुओं की विफलता या निकासी संरचनाओं को गहराई के रूप में सामने आ गया है जिससे किसानों पर अतिरिक्त बोझ हो सकता है।

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